सम्बोधन के बिना आज्ञा देना असंभव है इसलिए लोट् लकार के साथ सम्बोधन के विभिन्न प्रयोग प्रस्तुत है :
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प्रथम पुरुष
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भवान्/भवति आदर प्रदर्शित करते है और सदा प्रथम पुरुष में आते है इसलिए
किसी को आदरसहित प्रार्थना के लिए भवान्/भवति का प्रयोग होता है |
उदाहरण :
--> भवान् जलम् पिबतु |
आप जल पीजिये |
--> भवति आगच्छतु |
आप(स्त्रीलिंग) आइये |
* सामंजस्य के लिए क्रिया भी प्रथम पुरुष एकवचन से ली गयी है |
यदि किसी बड़े व्यक्तित्व को सम्मान देते है तो प्रथम पुरुष एकवचन की जगह प्रथम पुरुष बहुवचन प्रयोग होता है |
उदाहरण :
--> भवन्तः जलम् पिबन्तु |
आप जल पीजिये |
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मध्यम पुरुष
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आज्ञा देने या सुहृदयता(closeness) दर्शाने के लिए त्वम् का प्रयोग होता है जो कि मध्यम पुरुष है |
उदाहरण :
--> राम त्वं जलम् पिब |
राम तुम जल पियो |
या
--> राम जलम् पिब |
राम जल पियो |
* सामंजस्य के लिए क्रिया भी मध्यम पुरुष एकवचन से ली गयी है |
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उत्तम पुरुष
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हम अपने आप को आज्ञा नहीं दे सकते और न ही प्रार्थना की जा सकती है इसलिए
लोट् लकार उत्तम पुरुष हमेशा आज्ञा लेने/मांगने के भाव को दर्शाता है |
--> अहं भोजनं खादानि किम् ?
क्या मैं भोजन खा लूँ |
इसके अतिरिक्त इच्छा (wish) दर्शाने के लिए भी उत्तम पुरुष लोट् लकार का प्रयोग होता है |
--> नंदाम शरदः शतम् |
हम सैकड़ो वर्षोँ के लिए आनन्दित रहें |
======--ध्यान दें--=========
आज्ञा देते समय सदैव आप,तुम या नाम लेकर सम्बोधित किया जाता है | यदि
'तुम' से सम्बोधित किया गया है तो वह मध्यम पुरुष हो जायेगा परन्तु यदि
'आप' या नाम से सम्बोधित किया जाता है तो वह प्रथम पुरुष होगा |
जैसे :
--> त्वम् उपविश - तुम बैठो - मध्यम पुरुष |
--> भवन्तः पठन्तु - आप लोग पढ़िए - प्रथम पुरुष |
--> श्याम भवान् मया सह चलतु - श्याम, मेरे साथ चलो - प्रथम पुरुष |
--> श्याम, त्वं मया सह चल - श्याम, मेरे साथ चलो - मध्यम पुरुष |
परन्तु यदि त्वम् और भवान् के अलावा किसी शब्द या नाम के प्रथम पुरुष का प्रयोग होता है तो वाक्य की दिशा बदल जाती है |
--> श्यामः मया सह चलतु - श्याम को मेरे साथ चलने दो |
--> बालका: उद्याने क्रीडन्तु - बच्चो को खेलने दो |
--> शिष्य: पाठं पठतु - शिष्यों को पढ़ने दो |
(यहाँ वक्ता किसी और से बात कर रहा है )
very well explained, thank you!
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