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Wednesday, October 3, 2018
श्रीहरिनाममालास्तोत्रम्
गोविन्दं गोकुलानन्दम् गोपालम् गोपिवल्लभम् ।
गोवर्द्धनोद्धरम् धीरम् तम् वन्दे गोमतीप्रियम् ॥ १ ॥
नारायणम् निराकारम् नरवीरम् नरोत्तमम् ।
नृसिंहम् नागनाथम् च तम् वन्दे नरकांत्तकम् ॥ २ ॥
पीतांबरम् पद्मनाभम् पद्माक्षम् पुरुषोत्तमम् ।
पवित्रम् परमानन्दम् तम् वन्दे परमेश्वरम् ॥ ३ ॥
राघवम् रामचन्द्रम् च रावणारिम् रमापतिम् ।
राजीवलोचनम् रामम् तम् वन्दे रघुनन्दनम् ॥ ४ ॥
वामनम् विश्वरूपम् च वासुदेवम् च विठ्ठलम् ।
विश्वेश्वरम् विभुम् व्यासम् तम् वन्दे वेदवल्लभम् ॥ ५ ॥
दामोदरम् दिव्यसिंहम् दयालुम् दीननायकम् ।
दैत्यारिम् देवदेवेशम् तम् वन्दे देवकी-सुतम् ॥ ६ ॥
मुरारिम् माधवम् मत्स्यम् मुकुन्दम् मुष्टिमर्दनम् ।
मुञ्जकेशम् महाबाहुम् तम् वन्दे मधुसूदनम् ॥ ७ ॥
केशवम् कमलाकान्तम् कामेशम् कौस्तुभप्रियम् ।
कौमोदकीधरम् कृष्णम् तम् वन्दे कौरवान्तकम् ॥ ८ ॥
भूधरम् भुवनानन्दम् भूतेशम् भूतनायकम् ।
भावनैकम् भुजंगेशम् तम् वन्दे भवनाशनम् ॥ ९ ॥
जनार्दनम् जगन्नाथम् जगज्जड्यविनाशकम् ।
जामदग्न्यम् वरम् ज्योति: तम् वन्दे जलशायिनम् ॥ १० ॥
चतुर्भुजम् चिदानन्दम् चाणुरमल्लमर्दनम् ।
चराचरगतम् देवम् तम् वन्दे चक्रपाणिनम् ॥ ११ ॥
श्रिय: करम् श्रियो नाथम् श्रीधरम् श्रीवरप्रदम् ।
श्रीवत्सलधरम् सौम्यं तम् वन्दे श्रीसुरेश्वरम् ॥ १२ ॥
योगीश्वरम् यज्ञपतिम् यशोदानन्ददायकम् ।
यमुनाजलकल्लोलम् तम् वन्दे यदुनायकम् ॥ १३ ॥
शालिग्रामम् शिलाशुद्धम् शंखचक्रोपशोभितम् ।
सुरासुरैस्सदा सेव्यम् तम् वन्दे साधुवल्लभम् ॥ १४ ॥
त्रिविक्रमम् तपोमूर्तिम् त्रिविधाघौघनाशनम् ।
त्रिस्थलम् तीर्थराजेन्द्रम् तम् वन्दे तुलसीप्रियम् ॥ १५ ॥
अनन्तम् आदिपुरुषम् अच्युतम् च वरप्रदम् ।
आनन्दम् च सदानन्दम् तम् वन्दे च अघनाशनम् ॥ १६ ॥
लीलयोद्धृतभूभारम् लोकसत्त्वैकवंदितम् ।
लोकेश्वरम् च श्रीकांतम् तम् वन्दे लक्ष्मणप्रियम् ॥ १७ ॥
हरिम् च हरिणाक्षम् च हरिनाथम् हरिप्रियम् ।
हलायुधसहायम् च तम् वन्दे हनुमत्पतिम् ॥ १८ ॥
हरिनामकृता माला पवित्रा पापनाशिनी ।
बलिराजेंद्रेण चोक्ता कण्ठे धार्या प्रयत्नत: ॥ १९ ॥
इति बलिराजेन्द्रेणोक्तम् हरिनाममालास्तोत्रम् संपूर्णम्
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