2. लृट् लकार (अद्यतन future tense)
3. लङ् लकार (अद्यतन past tense)
4. लोट् लकार (request or order)
लिङ् लकार (has 2 subtypes. आशीर्लिंङ् and विधिर्लिंङ् )
5. आशीर्लिंङ्
6. विधिर्लिंङ् (for rituals, invitation, prayer, possibility etc)
7. लिट् लकार (परोक्ष past tense)
8. लुट् लकार (अनद्यतन future tense)
9. लुङ् लकार (नअद्यतन or अनद्यतन past tense)
10. लृङ् लकार (combination of past and future tense with cause and effect relationship)
*अद्यतन काल applies to any today's event.
*अनद्यतन past tense is used for event, that is not so ancient.
*परोक्ष is for event that we have not seen.
लट्लकार / laTlakaara (Present Tense): लट्लकार (laTlakaara) represents verb-forms in present tense (वर्तमानकाल / vartamaanakaala). So, while forming a sentence which is in present tense, the verb (क्रिया / kriaa) has to be in लट्लकार (laTlakaara).
Example:
बालकः पठति
बालिका गच्छति
Example:
रामः पठिष्यति
वयं गमिष्यामः
लङ्लकार / laN^lakaara (Past Tense): लङ्लकार (laN^lakaara) verb-forms represent the past tense in a sentence. So, while forming sentences in past tense we need to use verbd-forms from लङ्लकार (laN^lakaara).
Example:
बालिका अपठत्
बालकाः अगच्छन्
वयं अपठाम
लोट्लकार(आज्ञार्थक वृत्ति) / loTlakaara (Imperative Mood - Commands & Requests): का प्रयोग मुख्या रूप से नीचे दिए गए संदर्भो में होता है :
क) आज्ञा या सलाह का भाव बताने के लिए |
ख) इच्छा या प्रार्थना को प्रकट करने के लिए |
These verb-forms are used while giving commands or requests
Example:
रामः पठतु
त्वं पठ
वयं पठाम
विधैलिङ्लकार(सम्भावनार्थक वृत्ति) / vidhailiN^lakaara (Optative Mood - Should or May): - का प्रयोग मुख्या रूप से नीचे दिए गए संदर्भो में होता है :
क) इच्छा, सलाह या आशीर्वाद के लिए |
ख) संदेह या संभावना सूचित करने के लिए |
ग) संभाव्यता प्रदर्शित करने के लिए |
घ) हेतुहेतुमद वाक्यांशों में |
विधैलिङ्लकार (vidhailiN^lakaara) verb-forms represent sentences in optative mood. So, any sentence indicating possibility of something verb-forms of विधैलिङ्लकार (vidhailiN^lakaara) should be used.
Example:
बालिका पठेत्
बालकाः गच्छेयुः
युयं पठेत
टिप्पणी: लोट लकार(आज्ञार्थक वृत्ति) और विधिलिंग(सम्भावनार्थक वृत्ति) का प्रयोग कभी कभी एक दुसरे के स्थान पर होता है | इन दोनों का प्रयोग इच्छा, आशीर्वाद या परामर्श की अभिव्यक्ति के लिए हो सकता है | परन्तु लोट का प्रयोग अधिकांशतः आज्ञा देने के लिए और विधिलिंग का प्रयोग प्रायः आशीर्वाद और इच्छा जताने के लिए होता है |
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