संस्कृत को संस्कारित करने वाले कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि
महर्षि पाणिनि,
महर्षि कात्यायन और योग शास्त्र के प्रणेता
महर्षि पतंजलि
हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है।
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Refinement of Sanskrit is not done by normal linguistics, but those were
Maharishi Panini (Pāṇini) 4th century BC ,
Maharishi Katyayan (Kātyāyana) 3rd century BC and
Maharishi Patanjali (Patañjali)(Father of Yoga shashtra also)
महर्षि पाणिनि,
महर्षि कात्यायन और योग शास्त्र के प्रणेता
महर्षि पतंजलि
हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है।
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Refinement of Sanskrit is not done by normal linguistics, but those were
Maharishi Panini (Pāṇini) 4th century BC ,
Maharishi Katyayan (Kātyāyana) 3rd century BC and
Maharishi Patanjali (Patañjali)(Father of Yoga shashtra also)
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