Wednesday, October 3, 2018

श्री मधुराष्टकम्




अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरम्।
श्री कृष्ण के होंठ मधुर हैं, मुख मधुर है, नेत्र (ऑंखें) मधुर हैं, मुस्कान मधुर है
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥1।।
हृदय मधुर है, चाल भी मधुर है, मधुराधिपति (मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण), सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


वचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।

भगवान श्रीकृष्ण के वचन (बोलना) मधुर है, चरित्र मधुर है, वस्त्र मधुर हैं, वलय, कंगन मधुर हैं
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥2।
चलना मधुर है,भ्रमण (घूमना) मधुर है, मधुरता के ईश्वर श्रीकृष्ण (मधुराधिपति),आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः, पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
श्री कृष्ण की वेणु मधुर है, बांसुरी मधुर है; चरणरज मधुर है, उनको चढ़ाये हुए फूल मधुर हैं; हाथ (करकमल) मधुर हैं; चरण मधुर हैं
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥3।।
नृत्य मधुर है; मित्रता मधुर है; हे श्रीकृष्ण (मधुराधिपति); आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


गीतं मधुरं पीतं मधुरं, भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।

श्री कृष्ण के गीत मधुर हैं; पीताम्बर मधुर है; भोजन (खाना) मधुर है; शयन (सोना) मधुर है
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥4।।
रूप मधुर है; तिलक (टीका) मधुर है; हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति); आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


करणं मधुरं तरणं मधुरं, हरणं मधुरं रमणं मधुरम्।

कार्य मधुर हैं; तारना मधुर है (दुखो से तारना, उद्धार करना); हरण मधुर है (दुःख हरण); रमण मधुर है
वमितं मधुरं शमितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥5।।
उद्धार मधुर हैं; शांत रहना मधुर है; हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति); आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


गुंजा मधुरा माला मधुरा, यमुना मधुरा वीची मधुरा।

गर्दन मधुर है; माला भी मधुर है; यमुना मधुर है; यमुना की लहरें मधुर हैं
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥6।।
यमुना का पानी मधुर है; यमुना के कमल मधुर हैं; हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति); आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


गोपी मधुरा लीला मधुरा, युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम्।

गोपियाँ मधुर हैं; कृष्ण की लीला मधुर है; उनक सयोग मधुर है; वियोग मधुर है
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥7।।
निरिक्षण (देखना) मधुर है; शिष्टाचार (शिष्टता) भी मधुर है; हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति); आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)


गोपा मधुरा गावो मधुरा, यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।

गोप मधुर हैं; गायें मधुर हैं; लकुटी (छड़ी) मधुर है; सृष्टि (रचना) मधुर है
दलितं मधुरं फलितं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥8।।
दलन (विनाश करना) मधुर है; फल देना (वर देना) मधुर है; हे भगवान् कृष्ण (मधुराधिपति); आप (आपका) सभी प्रकार से मधुर   है
(मधुराधिपते अखिलं मधुरम्)




No comments: